Wednesday, November 01, 2006

इस्लाम की नज़र में औरत क्या है

औरतः
खुदा की बड़ी से बड़ी नैमतों में से एक है।
दुनिया की आबादकारी और दिनदारी में मर्दों के बराबर शरीक है।
मर्द के दिल का सकुन, बदन का चैन, ज़हन का इत्मिनान, रुह की राहत है।
दुनिया के खुबसुरत चेहरों की एक आंख है, अगर औरत ना होती तो दुनिया की सुरत कानी होती।
आदम अलैहिस्सलाम व हज़रत हव्वा के सिवा तमाम इन्सानों की मां है, इसलिए वो सबके लिए काबिले एहतराम है।
औरत के बगैर मर्दों की ज़िन्दगी जंगली जानवर से बद्तर होती।
औरत बचपन में भाई - बहन से मुहब्बत करती है, शादी के बाद शोहर से मुहब्बत करती है, मां बनने के बाद बच्चों से मुहब्बत करती है, इसलिए औरत प्यार व मुहब्बत का ताज़ महल है।

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